हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स क्या होता है ?

black box kept at a place in an airplane

हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स क्या होता है ?

जब भी कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है और दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू होती है तो सबसे पहले सबके दिमाग में एक चीज़ का ख्याल आता है, ब्लैक बॉक्स, क्योंकि यही वो डिवाइस है जिससे दुर्घटना के कारण का पता चलता है, क्योंकि ये सब कुछ रिकॉर्ड करता है। कैसे? आइए जानते हैं बेहद सरल भाषा में।

ब्लैक बॉक्स है क्या ?

सरल शब्दों में कहें तो ये एक रिकॉर्डिंग डिवाइस है, जो रिकॉर्ड करता है:

  1. जहाज की गति,
  2. दिशा,
  3. इंजन की पोजिशन,
  4. पायलट की आवाज, व कई और फ़ैक्टर्स भी ।

इन सब चीज़ों के सामने आने से दुर्घटना की जांच करने वालों को इसके कारणों का पता लगाने  में बहुत सुविधा होती है।

इसका ये नाम “ब्लैक बॉक्स” क्यों है ?

हालांकि ये डिवाइस नारंगी कलर का होता है, फिर इसे ब्लैक बॉक्स क्यों कहते हैं? तो समझिए कि अगर किसी बंद कमरे को देखें, जिसके अंदर क्या छिपा है, उसका हमें ज्ञान नहीं है, तो इसका मतलब अंदर की चीज़ों के बारे में हम अभी अंधकार में हैं — अंधकार मतलब अंधेरा या कालापन।

यह नाम एक रूपक (metaphor) के तौर पर दिया गया है। इसका मतलब होता है: “ऐसी कोई चीज़ जिसके अंदर क्या प्रोसेस हो रहा है, वह बाहर से पूरी तरह स्पष्ट नहीं होता।”

उदाहरण:

  • जब कोई विमान दुर्घटना होती है, तो ब्लैक बॉक्स मिल जाने तक हमें नहीं पता होता कि उसमें क्या रिकॉर्ड हुआ है, क्या बातचीत थी, क्या गड़बड़ी हुई — यह सब जांच हो जाने के बाद ही पता चलता है।
  • इसलिए, भले ही इसका संरचना हमें मालूम हो, लेकिन उसके अंदर जो डेटा है, वो एक रहस्य होता है जब तक कि उसे खोला न जाए।
  • क्योंकि यह एक गूढ़ डिवाइस है जिसका सटीक इनपुट और आउटपुट हम तभी समझ पाते हैं जब उसे विश्लेषण किया जाता है।
  • और विज्ञान व इंजीनियरिंग में भी “Black Box” एक टर्म है जिसका मतलब होता है: “A system whose inner workings are not visible, only input and output is observed.”

बहुत लोग जानना चाहते हैं — “hawai jahaj ka black box ka color kaisa hota hai? “हालांकि इसका कलर यानी रंग नारंगी होता है, वो इसलिए क्योंकि जब विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो मलबे के अंदर दबे हुए ब्लैक बॉक्स को नारंगी कलर के कारण ढूंढने में आसानी होती है।

ब्लैक बॉक्स के दो मुख्य प्रकार:

1. FDR (Flight Data Recorder): यह विमान की उड़ान से संबंधित डेटा रिकॉर्ड करता है, जैसे:

  • गति (Speed)
  • ऊँचाई (Altitude)
  • इंजन की स्थिति
  • तापमान और दबाव
  • एयरस्पीड, वर्टिकल स्पीड FDR लगभग 88 से 100 तक पैरामीटर रिकॉर्ड कर सकता है।

2. CVR (Cockpit Voice Recorder): यह कॉकपिट में पायलट और को-पायलट के बीच की बातचीत, चेतावनी की आवाज़ें, बैकग्राउंड शोर आदि रिकॉर्ड करता है। यह लगभग 2 घंटे तक की ऑडियो रिकॉर्डिंग स्टोर कर सकता है।

एक विमान में FDR और CVR दोनों डिवाइस मौजूद होते हैं, और ये साथ-साथ मिलकर ब्लैक बॉक्स सिस्टम को पूरा करते हैं।

black box components 2

FDR विमान की पूंछ (tail section) में पीछे की ओर स्थापित होता है। यह विमान से संबंधित सभी तकनीकी डेटा को स्टोर करता है। CVR भी उसी क्षेत्र में स्थित होता है, ताकि दोनों को एक साथ सुरक्षित रखा जा सके। दोनों उपकरण एक विशेष Crash-Survivable कम्पार्टमेंट में बंद होते हैं। ULB (Underwater Locator Beacon) ((बीप सिग्नल भेजने वाला)) इन्हीं डिवाइस के साथ जुड़ा होता है।

ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है?

  • विमान के सेंसर से हर सेकंड डेटा प्राप्त करता है
  • CVR कॉकपिट के माइक्रोफोन से ध्वनि रिकॉर्ड करता है
  • डेटा स्टोर करने के लिए इसमें एक मजबूत मेमोरी यूनिट होती है
  • यह पुराने डेटा को धीरे-धीरे नए से रिप्लेस करता रहता है
  • यदि अचानक कोई झटका या सिस्टम फेल होता है, तो रिकॉर्डिंग रुक जाती है और डेटा सेव हो जाता है

ब्लैक बॉक्स कहाँ-कहाँ उपयोग होता है?

  • विमान – सबसे प्रमुख उपयोग (हर कमर्शियल विमान में अनिवार्य)
  • ट्रेन – लोकोमोटिव इंजन में
  • कार – प्रीमियम कारों में Event Data Recorder (EDR)
  • हेलिकॉप्टर/ड्रोन – नई सुरक्षा जरूरतों के अनुसार
  • जहाज़ – समुद्री नेविगेशन और इंजन डेटा के लिए

ब्लैक बॉक्स की संरचना:

all parts of black
  • Crash-Survivable Memory Unit – स्टील या टाइटेनियम से बनी मजबूत परत
  • Underwater Locator Beacon (ULB) – पानी में गिरने पर सिग्नल भेजता है (लगभग 30 दिन)
  • Heat Resistance – 1100°C तक तापमान सहन कर सकता है
  • Pressure Resistance – 20,000 फीट पानी की गहराई के दबाव में भी सुरक्षित रहता है

ब्लैक बॉक्स कैसे खोजा जाता है?

जब कोई विमान पानी में गिरता है, तो उसका ब्लैक बॉक्स हर सेकंड बीप करता है। ये अल्ट्रासोनिक सिग्नल sonar सिस्टम और robotic submarine की मदद से खोजे जाते हैं। इसकी बैटरी 30 दिन तक एक्टिव रहती है।

भारत में ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल

  • DGCA (Directorate General of Civil Aviation) भारत में विमान दुर्घटनाओं की जांच करती है
  • हर कमर्शियल एयरक्राफ्ट में ब्लैक बॉक्स होना जरूरी है
  • देश में अब घरेलू स्तर पर भी ब्लैक बॉक्स बनाने की तकनीक विकसित हो रही है

प्रमुख विमान दुर्घटनाएं जिनमें ब्लैक बॉक्स अहम साबित हुआ

एयर फ्रांस 447 (2009)

  • ब्राजील से फ्रांस जाते समय अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त
  • ब्लैक बॉक्स 2 साल बाद समुद्र की 3900 मीटर गहराई से मिला
  • पता चला कि ऑटो-पायलट फेल हुआ और पायलटों की प्रतिक्रिया में देर हुई

मलेशिया एयरलाइंस MH370 (2014)

  • आज भी रहस्य बना हुआ है
  • ब्लैक बॉक्स नहीं मिला, वरना सच्चाई सामने आ सकती थी

ब्लैक बॉक्स की मरम्मत और डेटा रिकवरी

  • दुर्घटना के बाद उसे तुरंत प्रयोगशाला में ले जाया जाता है
  • प्रक्रिया:
    1. बाहरी कवच हटाना
    2. मेमोरी यूनिट निकालना
    3. डेटा को विशेष सॉफ्टवेयर से रिकवर करना
    4. ऑडियो को साफ करना

यह प्रक्रिया केवल विशेषज्ञ प्रयोगशालाओं में होती है – जैसे:

  • BEA (फ्रांस)
  • NTSB (अमेरिका)
  • DGCA (भारत)

भविष्य: क्लाउड-बेस्ड और स्मार्ट ब्लैक बॉक्स

  • डेटा को क्लाउड पर सीधे भेजने वाले ब्लैक बॉक्स
  • रियल-टाइम मॉनिटरिंग और जांच में तेजी
  • Honeywell जैसी कंपनियाँ Connected Aircraft पर काम कर रही हैं
  • 5G और Satellite तकनीक से इसे और बेहतर बनाया जा रहा है

ब्लैक बॉक्स (Black Box) यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) का निर्माण कुछ चुनिंदा हाई-टेक कंपनियाँ करती हैं जो अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा मानकों का पालन करती हैं।

ब्लैक बॉक्स बनाने वाली प्रमुख कंपनियाँ:

  1. Honeywell Aerospace (हनीवेल एयरोस्पेस)
    अमेरिका स्थित यह कंपनी दुनियाभर के हवाई जहाजों में प्रयोग होने वाले ब्लैक बॉक्स बनाती है।
  • L3Harris Technologies (एल3हैरिस टेक्नोलॉजीज)
    यह कंपनी अत्याधुनिक CVR और FDR रिकॉर्डर बनाती है और एयरबस, बोइंग जैसी कंपनियों को सप्लाई करती है।
  • Universal Avionics Systems Corporation (यूनिवर्सल एवियोनिक्स सिस्टम्स कॉरपोरेशन)
    यह भी एक विश्वसनीय कंपनी है जो खासतौर पर रीजनल और बिजनेस जेट्स के लिए ब्लैक बॉक्स बनाती है।

ब्लैक बॉक्स में कौन-सी धातुएं और सामग्री उपयोग होती हैं?

black box cross section

1.  टाइटेनियम (Titanium) या स्टेनलेस स्टील (Stainless Steel) – बाहरी खोल (Outer Casing)

  • क्यों उपयोग होता है?
    • ये धातुएं बहुत मजबूत होती हैं और दुर्घटना के समय होने वाले जोरदार टकराव (crash impact) को झेल सकती हैं।
    • आग में नहीं पिघलती जल्दी और जंग नहीं लगती।
  • क्षमता:
    • 1100°C तक की आग में कम से कम 60 मिनट तक सुरक्षित रहता है।
    • 3400 G-force तक की टक्कर झेलने की क्षमता होती है।

2.  एल्युमिनियम (Aluminum) – आंतरिक हिस्सों में

  • क्यों उपयोग होता है?
    • हल्का होता है, जिससे ब्लैक बॉक्स का कुल वजन कम होता है।
    • थर्मल इंसुलेशन में सहायक होता है, लेकिन बहुत मजबूत नहीं होता इसलिए सिर्फ गैर-महत्वपूर्ण हिस्सों में उपयोग होता है।

3. थर्मल इंसुलेशन सामग्री (Thermal Insulation Material)

  • अंदर के नाज़ुक हिस्सों को आग, ठंड और पानी से बचाने के लिए सिलिका, सेरामिक, या एयरो-जल (Aerogel) जैसी सामग्री लगाई जाती है।
  • यह गर्मी से सुरक्षा देता है, खासकर जब विमान में आग लग जाती है।

4.  क्रैश-सेफ़ मेमोरी यूनिट (Crash-Survivable Memory Unit – CSMU)

  • डेटा यहीं स्टोर होता है।
  • इस यूनिट को भी एक मजबूत धातु खोल में बंद किया जाता है:
    • टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील
    • अंदर फोम या जेल जैसे झटके सोखने वाले पदार्थ

दुनिया का पहला ब्लैक बॉक्स: इतिहास और शुरुआत

First black

ब्लैक बॉक्स का आविष्कार कब और किसने किया?

  • आविष्कारक: डॉ. डेविड वॉरेन (Dr. David Warren)
  • देश: ऑस्ट्रेलिया
  • साल: 1950 के दशक की शुरुआत में
  • डॉ. वॉरेन ने यह डिवाइस तब डिज़ाइन किया जब 1953 में हुए Comet विमान हादसे के कारणों का पता लगाना मुश्किल हो गया था।

 पहली बार ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल किस विमान में हुआ?

  • साल: 1958
  • स्थान: ऑस्ट्रेलिया
  • विमान: एक परीक्षण विमान (test flight) में पहली बार इसे प्रयोग किया गया।

औपचारिक रूप से अनिवार्य कब हुआ?

1960 के दशक में ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश बना जिसने सभी कमर्शियल विमानों में ब्लैक बॉक्स अनिवार्य किया इसके बाद यह नियम ब्रिटेन, अमेरिका और फिर बाकी देशों में भी अपनाया गया।

शुरुआत में ब्लैक बॉक्स कैसा दिखता था?

पहला ब्लैक बॉक्स एक काले रंग के बॉक्स जैसा ही था। लेकिन बाद में यह नियम बना कि इसे नारंगी रंग में बनाया जाए ताकि दुर्घटना के बाद आसानी से खोजा जा सके। यही कारण है कि आज का “ब्लैक बॉक्स” असल में नारंगी रंग का होता है।

प्रारंभिक ब्लैक बॉक्स में क्या रिकॉर्ड होता था?

शुरुआती ब्लैक बॉक्स सिर्फ कॉकपिट वॉयस रिकॉर्ड करते थे। बाद में इसमें फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर जोड़ा गया, जो इंजन, ऊंचाई, गति आदि का डेटा रिकॉर्ड करता है।

हवाई जहाज़ में ब्लैक बॉक्स कौन लगाता है और कैसे?

ब्लैक बॉक्स यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) का इंस्टॉलेशन एक बहुत ही जिम्मेदारी भरा और तकनीकी काम होता है, जिसे कुछ विशेष लोग ही करते हैं।

ब्लैक बॉक्स कौन लगाता है?

Installation of black

1. एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर (विमान निर्माता कंपनियाँ)

ये कंपनियाँ विमान निर्माण के दौरान ही ब्लैक बॉक्स को विमान के सिस्टम में एकीकृत करती हैं।

2. एवियोनिक्स इंजीनियर (Avionics Engineer)

ये विशेषज्ञ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स को इंस्टॉल और टेस्ट करते हैं — जिसमें ब्लैक बॉक्स भी शामिल होता है।

3. सर्टिफाइड टेक्नीशियन / मेंटेनेंस टीम

अगर कोई ब्लैक बॉक्स रिप्लेस या चेक करना हो तो यह कार्य लाइसेंस प्राप्त तकनीशियन करते हैं, जो विमानन सुरक्षा मानकों का पालन करते हैं।

ब्लैक बॉक्स कैसे लगाया जाता है?

 इंस्टॉलेशन प्रक्रिया

  1. स्थान का चयन:
    ब्लैक बॉक्स को विमान के पिछले हिस्से में (tail section) लगाया जाता है क्योंकि हादसे के समय यह हिस्सा सबसे कम क्षति झेलता है।
  2. माउंटिंग:
    इसे मजबूत धातु के फ्रेम या केस में फिट किया जाता है, जो हाई टेम्परेचर और दबाव को सह सके।
  3. कनेक्शन:
    विमान के सेंसर, इंजन, नविगेशन सिस्टम, और कॉकपिट कम्युनिकेशन सिस्टम से इसे जोड़ा जाता है ताकि वह डेटा रिकॉर्ड कर सके।
  4. टेस्टिंग और कैलिब्रेशन:
    इंस्टॉलेशन के बाद सिस्टम को टेस्ट किया जाता है कि क्या वह सही डेटा रिकॉर्ड कर रहा है या नहीं।
  5. बीकन इंस्टॉल करना (Underwater Locator Beacon):
    अगर विमान पानी में गिर जाए तो यह बीकन सिग्नल भेजता है, जिससे ब्लैक बॉक्स को खोजा जा सके।

क्या पायलट ब्लैक बॉक्स को एक्सेस कर सकता है?

 नहीं । ब्लैक बॉक्स एक सील्ड यूनिट होती है जिसे केवल अधिकृत जांच एजेंसियाँ ही खोल सकती हैं — जैसे:

  • DGCA (भारत में)
  • NTSB (अमेरिका में)
  • BEA (फ्रांस में)

ब्लैक बॉक्स (Black Box) की कीमत कितनी होती है?

ब्लैक बॉक्स, यानी Flight Data Recorder (FDR) और Cockpit Voice Recorder (CVR), एक अत्याधुनिक और हाई-टेक डिवाइस है, जिसे विमान दुर्घटना की स्थिति में डेटा को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी कीमत कई चीजों पर निर्भर करती है।

ब्लैक बॉक्स की अनुमानित कीमत:

सिर्फ CVR (Cockpit Voice Recorder)₹15 लाख – ₹25 लाख
सिर्फ FDR (Flight Data Recorder)₹18 लाख – ₹30 लाख
CVFDR (दोनों का कॉम्बो – Combined)₹30 लाख – ₹50 लाख या अधिक
सिर्फ CVR (Cockpit Voice Recorder)₹15 लाख – ₹25 लाख
सिर्फ FDR (Flight Data Recorder)₹18 लाख – ₹30 लाख
CVFDR (दोनों का कॉम्बो – Combined)₹30 लाख – ₹50 लाख या अधिक

🔹 कीमत अलग-अलग मॉडल, फीचर्स (जैसे RIPS बैकअप), मेमोरी क्षमता और मैन्युफैक्चरर के अनुसार बदलती है।

कीमत को प्रभावित करने वाले कारक:

  1. ब्रांड और निर्माता – Honeywell, L3Harris, Universal Avionics जैसी कंपनियों के ब्लैक बॉक्स महंगे होते हैं।
  2. सॉलिड स्टेट vs मैग्नेटिक रिकॉर्डर – सॉलिड स्टेट वाले अधिक महंगे लेकिन टिकाऊ होते हैं।
  3. रिकॉर्डिंग समय – 2 घंटे ऑडियो + 25 घंटे डेटा या उससे अधिक वाले सिस्टम की कीमत ज़्यादा होती है।
  4. बैटरी बैकअप (RIPS) – इसमें यदि RIPS (Recorder Independent Power Supply) होता है तो कीमत और बढ़ जाती है।
  5. सर्टिफिकेशन और तकनीकी मानक – ED-112A, FAA, EASA सर्टिफाइड रिकॉर्डर्स की कीमत अधिक होती है।

इंस्टॉलेशन व मेंटेनेंस लागत:

  • इंस्टॉलेशन खर्च: ₹2–4 लाख (Aircraft टाइप पर निर्भर करता है)
  • मेंटेनेंस: आमतौर पर “maintenance on condition” होता है यानी जरूरत पड़ने पर ही
  • ULB (Underwater Locator Beacon) को हर कुछ साल में बदलना पड़ता है

सवाल: क्या कुछ विमान बिना ब्लैक बॉक्स के भी उड़ान भरते हैं
उत्तर: हाँ, कुछ विमान बिना ब्लैक बॉक्स (CVR/FDR) के भी उड़ते हैं — लेकिन ये सिर्फ खास परिस्थितियों में ही होता है। आइए इसे आसान हिंदी में समझते हैं:

कौन से विमान बिना ब्लैक बॉक्स उड़ सकते हैं?

Here, in image types of aircraft, it is shown where black box is mandatory or not, this is displayed
Types of where black box is mandatory or not

1.  छोटे निजी विमान (Small Private Aircraft):

  • जैसे: छोटे 2-सीटर या 4-सीटर प्राइवेट प्लेन
  • इन पर ब्लैक बॉक्स अनिवार्य नहीं होता (क्योंकि नियम केवल बड़े वाणिज्यिक विमानों पर लागू होते हैं)।
  • अक्सर General Aviation श्रेणी के तहत आते हैं।

2. कुछ हेलिकॉप्टर (Helicopters):

  • छोटे हेलिकॉप्टर या विशेष उपयोग वाले हेलिकॉप्टर (जैसे कृषि, निजी उपयोग) में कभी-कभी ब्लैक बॉक्स नहीं होता।
  • हालांकि अब नए नियमों के अनुसार बड़े हेलिकॉप्टरों में इसे लगाना जरूरी हो गया है।

3. पुराने मॉडल के विमान (Old Aircrafts):

  • कई पुराने विमान जो 1980 या उससे पहले बने थे, उनमें ब्लैक बॉक्स नहीं होता था।
  • लेकिन अब ज़्यादातर को रेट्रोफिट किया गया है।

 कानूनी नियम (DGCA / FAA के अनुसार):

  • भारत में DGCA (Directorate General of Civil Aviation) के अनुसार:
    • 10 या अधिक यात्रियों वाले हर विमान में CVR और FDR अनिवार्य है।
  • अमेरिका में FAA का नियम भी यही कहता है:
    • Turbine-powered aircraft with 6 or more passengers must have FDR.

 अब क्या बदलाव आ रहे हैं?

  • नए नियमों के अनुसार, छोटे विमानों के लिए भी lightweight data recorders या low-cost CVRs लाने की योजना है।
  • हेलिकॉप्टर में भी अब ED-155 compliant recorders अनिवार्य हो सकते हैं।

भारत में विमान और ब्लैक बॉक्स से जुड़ी स्थिति

ब्लैक बॉक्स अनिवार्य होता है

विमान श्रेणीविमानन कम्पनीज
वाणिज्यिक एयरलाइंसIndigo, Air India, SpiceJet
चार्टर जेट (10+ यात्री)JetSetGo, Club One Air
बड़े कार्गो विमानBlue Dart Aviation
सरकारी VIP विमानएयर इंडिया वन
पायलट ट्रेनिंग जेट (Advanced)HAL Kiran, Pilatus PC-7

ब्लैक बॉक्स जरूरी नहीं (मामूली या नहीं होता):

विमान श्रेणीकारण
छोटे निजी विमान (General Aviation) कम यात्री, कम खतरा, नियम छूट
लाइट स्पोर्ट एयरक्राफ्टवजन 5,700 kg से कम
अल्ट्रालाइट विमानबहुत ही छोटे, लगभग शौकिया श्रेणी
छोटे हेलिकॉप्टरनिजी उपयोग वाले में छूट
कृषि विमानखेतों में दवा छिड़काव हेतु, सीमित उड़ान क्षेत्र
स्काईडाइविंग विमान (छोटे)यदि संशोधित मॉडल हो

नोट-worthy बात:

  • छोटे विमानों में हालांकि ब्लैक बॉक्स जरूरी नहीं है, लेकिन अब कई कंपनियाँ “Lightweight Flight Recorders” या “Mini FDRs” उपलब्ध करा रही हैं सुरक्षा के लिहाज से।
  • समय के साथ यह तकनीकि काम खर्चीली होती जा रही है जिससे फायदा यह होगा की छोटे विमानों मे भी अगले कुछ वर्षों मे ब्लैक बॉक्स रेकॉर्डर्स सामान्य हो जाएंगे।

Q&A – सामान्य प्रश्न और उत्तर:

Q1: क्या विमान में FDR और CVR दोनों होते हैं?
A: हां, दोनों डिवाइस एक ही विमान में होते हैं और मिलकर ब्लैक बॉक्स सिस्टम बनाते हैं।

Q2: ब्लैक बॉक्स कितने समय तक डेटा सुरक्षित रखता है?
A: जब तक उसकी मेमोरी यूनिट क्षतिग्रस्त नहीं होती, वर्षों तक डेटा सुरक्षित रह सकता है।

Q3: क्या ब्लैक बॉक्स रियल टाइम डेटा भेजता है?
A: पारंपरिक ब्लैक बॉक्स नहीं, लेकिन आधुनिक क्लाउड-कनेक्टेड ब्लैक बॉक्स यह कर सकते हैं।

Q4: क्या कारों में भी ब्लैक बॉक्स होता है?
A: हां, कई नई कारों में EDR (Event Data Recorder) मौजूद होता है।

Q5: क्या ब्लैक बॉक्स आम नागरिक देख सकते हैं?
A: नहीं, इसका डेटा केवल जांच एजेंसियों के लिए होता है।

Q6: क्या भविष्य में ब्लैक बॉक्स की जगह नई तकनीक आएगी?
A: हां, रियल टाइम क्लाउड डेटा सिस्टम धीरे-धीरे मुख्यधारा में आएंगे।

Q7: क्या AI अपने निर्णय की व्याख्या कर सकता है?
A: हां, Explainable AI (XAI) इसी दिशा में काम कर रहा है।

Q8: क्या ब्लैक बॉक्स का डेटा कोर्ट में सबूत बन सकता है?
A: हां, कई देशों में यह कानूनी सबूत के रूप में मान्य होता है।

जब हम यातायात के साधनों की बात करते हैं तो वायु मार्ग से यातायात सबसे महंगा और आरामदायक माना जाता है, साथ ही समय की बचत भी होती है। हालांकि यह सुरक्षित है या असुरक्षित, इसके दो पहलू हैं।

अगर हम देखें तो वायुयान की दुर्घटना के समाचार बहुत ही कम सुनाई पड़ते हैं क्योंकि ऊँचाई पर वायुयान ले जाने से पहले इसकी विस्तृत जांच परख की जाती है, सारे प्रोटोकॉल्स का पालन किया जाता है, इसलिए दुर्घटना की संभावना न के बराबर होती है। पर अगर दूसरा पहलू देखें तो अगर वायुयान की दुर्घटना होती है, तो उसमें शामिल मौतों का आंकड़ा काफी बड़ा होता है, उसमें यात्रा करने वाले यात्रियों की जान बचाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि वायुयान अक्सर ऊँचाइयों पर उड़ता है और वहाँ कोई दुर्घटना होने पर सीधा नीचे भूमि पर आकर गिरता है।

फिर भी वायुमार्ग से यात्रा आज के भागमभाग वाले दौर में बेहद आरामदायक और सुविधाजनक है। हालांकि अब एयरलाइन्स कम्पनीज़ को सुरक्षा अनुपालन को लेकर नियम और प्रोटोकॉल्स और कड़े करने होंगे, क्योंकि यात्रियों की जिंदगी से समझौता किसी हाल मे नहीं किया जा सकता, क्योंकि किसी ने सच ही कहा है:

जान है तो जहान है“, और हम कह सकते हैं कि “जान है तो जहान है और तभी उड़ान है” ।

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